Meta , Google , और Microsoft जैसे तकनीकी दिग्गज Generative AI Tool के संभावित खतरों के साथ क्यों डर रहे हैं? यह नए तकनीकी युग में आगे बढ़ने का समय है, लेकिन क्या यह उपकरण हमारी वास्तविकता को कैसे प्रभावित कर सकते हैं?
Generative AI:
Generative AI उपकरण तकनीक के दावों से जगह-जगह खौलते हैं, लेकिन उनकी Super-Inteligence हासिल करने की चुनौती से होने वाले वास्तविक नुकसान से डर भी है। आईए जानते हैं कि इस डर का असली कारण क्या है और इससे हमें कैसे निपटना चाहिए।
कुछ महीने पहले, Google के CEO Sundar Pichai ने एक साक्षात्कार में स्वीकार किया कि उन्हें कंपनी के AI Chatbot कार्यक्रम को पूरी तरह से समझ नहीं आया। यह उनकी जानकारी की कमी का परिचायक था जो इसे एक विदेशी भाषा में संचालित किया गया था। इसके बाद हुए रहस्योद्घाटन ने बड़े सवाल उठाए और Ai के बारे में तेज़ चर्चाएं शुरू हो गईं।
हालांकि, इस पर तुरंत प्रतिक्रिया मिली कि Chatbot को संबंधित भाषा में संकेत देने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। इस संदेह के बीच, Bengali भाषा का एक महत्वपूर्ण रोल था जिसने इस विवाद को और भी तीव्र बना दिया। क्या यह डेटा उपयोग का तरीका एक नए नजरिए से हमें आत्म-समीक्षा करने का संकेत है?
इसी तरह की बहु आयामी चर्चाओं से हमें आता है सच्चाई का सामना करने का साहस और तकनीकी दुनिया के आगे बढ़ने के लिए तैयारी करने का मौका। यह समझने का प्रयास करना महत्वपूर्ण है कि तकनीक हमारे साथ कैसे बदल रही है और हम इस पर कैसे प्रतिक्रिया कर रहे हैं।
इस तकनीकी युग में हमें आत्मनिरीक्षण करने का समय आ गया है, ताकि हम सही
राह पर चल सकें और तकनीक का सही इस्तेमाल कर सकें। Generative AI से होने वाले संभावित फायदे और खतरों को समझकर हम एक उज्जवल तकनीकी भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
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